भारतीय ग्रैंडमास्टर डी गुकेश ने 18 साल की उम्र में वर्ल्ड चेस चैंपियन का खिताब जीतकर अपना जीवनभर का सपना साकार किया। गुकेश ने मौजूदा चैंपियन डिंग लिरेन को हराकर यह खिताब जीता, जो उनके करियर का सबसे बड़ा मुकाम था। 11 साल की उम्र में गुकेश ने वर्ल्ड चेस चैंपियन बनने का सपना देखा था, और 7 साल बाद उन्होंने उस सपने को हकीकत में बदल दिया।

इतिहास रचने वाला गुकेश: 18 साल की उम्र में बने सबसे युवा वर्ल्ड चेस चैंपियन
गुकेश ने चेस वर्ल्ड चैंपियनशिप के 14वें और अंतिम गेम में डिंग लिरेन को हराकर 7.5 अंक बनाकर खिताब जीता। मैच के अधिकांश समय तक यह मुकाबला ड्रॉ की ओर बढ़ता हुआ दिखा, लेकिन लिरेन की एक बड़ी गलती ने खेल का पासा पलट दिया। 55वें मूव में लिरेन की गलती के बाद उन्होंने मैच को छोड़ दिया और गुकेश ने शानदार जीत हासिल की।
गुकेश की जीत के बाद उन्हें 1.3 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 11.03 करोड़ रुपये) का पुरस्कार मिला, जो कुल पुरस्कार राशि 2.5 मिलियन डॉलर में से था।
गुकेश ने शेयर किया सपना: “मैं दुनिया का सबसे युवा चैंपियन बनना चाहता हूं”
गुकेश के लिए यह जीत किसी सपने के सच होने जैसी थी। उन्होंने मीडिया से कहा, “मैंने यह पल पिछले 10 सालों से सपना देखा था, और आज यह सपना हकीकत में बदल गया। मुझे थोड़ा भावुक भी हो गया क्योंकि मैं जीतने की उम्मीद नहीं कर रहा था, लेकिन जब मुझे मौका मिला, तो मैंने दबाव बना लिया।”
डिंग लिरेन के खिलाफ एक रोमांचक मुकाबला
गुकेश और डिंग लिरेन के बीच मैच शुरू से ही कड़ा था। गुकेश को शुरू में दबाव महसूस हुआ, क्योंकि लिरेन पूरे गेम के दौरान आरामदायक स्थिति में थे। हालांकि, गुकेश ने आखिरी मिनट में लिरेन की गलती का फायदा उठाया और मैच अपने नाम किया।
शतरंज की दुनिया में गुकेश का ऐतिहासिक योगदान
गुकेश ने दुनिया में अपनी जगह बनाई और भारतीय शतरंज को एक नई ऊंचाई दी। वे दूसरे भारतीय शतरंज खिलाड़ी हैं, जिन्होंने वर्ल्ड चेस चैंपियनशिप का खिताब जीता है। उनसे पहले, शतरंज के दिग्गज और पांच बार के वर्ल्ड चेस चैंपियन विश्वनाथन आनंद ने यह खिताब जीता था।
गुकेश की यह जीत न केवल भारत के लिए गर्व का क्षण है, बल्कि यह एक प्रेरणा भी है, जो यह दिखाती है कि मेहनत और समर्पण से किसी भी बड़े लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है।
विश्वनाथन आनंद ने दी गुकेश को बधाई
भारत के शतरंज के महान खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद ने गुकेश को बधाई दी और कहा, “बधाई हो गुकेश! यह शतरंज के लिए, भारत के लिए और मेरे लिए एक गर्व का क्षण है। डिंग लिरेन ने बहुत रोमांचक मुकाबला खेला और चैंपियन की तरह खेला।”
गुकेश की इस ऐतिहासिक जीत ने उन्हें शतरंज की दुनिया में हमेशा के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान दिला दिया है।